आध्यात्मिक विरासत को संजोने के लिए मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने बढ़ाये कदम

अनूप कुमार मिश्र
 
    भारत की आध्‍यात्मिक धरोहर एक अनमोल पूंजी की तरह है। दुखद यह है कि आध्‍यात्मिक धरोहर रूपी यह अनमोल पूंजी धीरे.धीरे विलुप्‍त होती जा रही है। ऐसे में न केवल सरकारए बल्कि हम सभी की यह जिम्‍मेदारी बनती है कि हम इस धरोहर को संजोने में अपना योगदान दे। यदि हम मध्‍य प्रदेश को लेकर बात करें तो यहाँ की जनता का आध्‍यात्मिक विरासत से बेहद गहरा रिश्‍ता रहा है। इसी रिश्‍ते को ध्‍यान में रखकर मध्‍य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने प्रदेश की आध्‍यात्मिक धरोहर को संजोने और संरक्षित करने का बीड़ा सरकार बनने के साथ उठाया था। सरकार बनने के बादए मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कई ऐसे महत्‍वपूर्ण कदम उठाए हैंए जिनकी मदद से प्रदेश की अनमोल आध्‍यात्मिक धरोहर को संरक्षित किया जा सकता है।
 
    मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने भारत की आध्यात्मिक विरासत को संजोने और संरक्षित करने के लिए अपना पहला कदम अध्यात्म विभाग के गठन के साथ उठाया। उन्‍होंने सूबे के धर्मस्वए धार्मिक न्यास और आनंद विभाग को मिलाकर आध्यात्म विभाग का वृहद रूप प्रदान किया। इन सभी विभागों को एक साथ लाने का मकसद सभी के बीच बेहतर सामंजस्य बैठाना था। मध्‍य प्रदेश की कमलनाथ सरकार का मानना था कि इससे भी विभागों को साथ लाकर और बेहतर तरीके से काम किया जा सकता है। इसके साथए कमलनाथ सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया। इस फैसले के तहत कमलनाथ सरकार ने पुजारीए महंत और कथावाचकों की नियुक्ति और उन्‍हें हटाने के नियम तैयार किए।
 
    इसके अलावाए प्रदेश सरकार ने नियुक्‍त किए गए पुजा‍रीए कथावाचक और मुजाविरों के लिए एक मानदेय भी तय किया। मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने उन पुजारियों का पूरा ध्‍यान रखाए जिनकी नियुक्ति शासन की देख.रेख में चल रहे मंदिरों में थी। इन मंदिरों के पुजारियों के मानदेय की दरों में मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने तीन गुना तक की वृद्धि की है। इतना ही नहींए मध्‍य प्रदेश सरकार द्वारा नर्मदाए ताप्‍तीए मंदाकिनी और क्षिप्रा नदियों के संरक्षण के लिए एक न्‍यास का गठन किया गया है। मध्‍य प्रदेश में इन नदियों को माँ के रूप में देखा जाता है। इन नदियों को उनके प्राकृतिक स्‍वरूप में रखने के लिए मध्‍य प्रदेश का न्‍यास इन दिनों कई योजनाओं पर काम भी कर रहा है। इतना ही नहींए मध्‍य प्रदेश में अध्‍यात्‍म में आस्‍था रखने वाले श्रद्धालुओं को मध्‍य प्रदेश सरकार द्वारा कैलाश मानसरोवर और श्रीलंका की यात्रा के लिए विशेष राशि भी उपलब्‍ध कराई जा रही हैण्
 
    भारत की आध्यात्मिक विरासत को संजोने और संरक्षित करने की दिशा में मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के कदम यहीं पर नहीं रुकते हैं। उन्‍होंने भविष्‍य के लिए कई ऐसी योजनाएँ तैयार की हैंए जिससे आध्‍यात्‍मरूपी अपनी अनमोल धरोहर को संरक्षित किया जा सके। मुख्‍यमंत्री कमलनाथ द्वारा उठाए जा रहे कदमों में राम.पथगमन के तीर्थ.स्‍थलों का जीर्णोद्धार भी शामिल है। सरकार इन तीर्थ.स्‍थलों के संरक्षणए जन सुविधाओंए भीड़ प्रबंधनए सुरक्षा व्‍यवस्‍थाए मेलेए उत्‍सव सहित आध्‍यात्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की दिशा में भी काम कर रही है। सरकार का ऐसा मानना है कि उसके इन प्रयासों के जरिए न केवल आध्‍यात्मिक धरोहर को संरक्षित किया जा सकेगाए बल्कि पर्यटन के अवसर भी उपलब्‍ध कराए जा सकेंगे।
 
    मध्‍य प्रदेश सरकार ने कुछ इसी तरह की योजना महाकालेश्‍वरए शारदा माता मंदिरए  खजराना गणपतिए ओरछा एवं ओंकारेश्‍वर को लेकर भी तैयार की है। महाकाल मंदिर उज्जैन के विकास के लिये 300 करोड़ रूपये की तथा ओंकारेश्वर मंदिर के विकास के लिये 156 करोड़ रूपये की कार्य योजना बनाई गई है। इन सभी धार्मिक एवं आध्‍यात्मिक स्‍थलों का सर्वांगीण विकास होए इसके लिए सरकार ने वृहद रोड मैप तैयार किया है। बीते अनुभवों में देखने को मिला है कि हर साल भारी तादाद में न केवल श्रद्धालु बल्कि पर्यटक ओरछा का मंदिर देखने के लिए पहुँचते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्‍यान में रखते हुए कमलनाथ सरकार ने तीर्थ यात्री सेवा सदन की सौगात ओरछा को दी है। इसके अलावाए प्रदेश के प्रमुख मेलों के प्रबंध के लिए कमलनाथ सरकार ने मेलों को 45 लाख रुपये का अनुदान स्वीकृत किया है। उल्‍लेखनीय है कि मध्‍य प्रदेश देश के उन प्रमुख राज्‍यों में एक हैए जहाँ पर ऐतिहासिक और आध्‍यात्‍मिक धरोहर भारी संख्‍या में है। अब मध्‍य प्रदेश सरकार की कोशिश है कि अपनी इन धरोहरों को बचाएंए जिससे आने वाली पीढ़ियाँ अपनी आध्‍यात्मिक विरासत के बारे में जान सकें।


अनूप कुमार मिश्र
वरिष्‍ठ पत्रकार


 


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