दस फीसदी कमीशन की चाह ने ली थी 70 बच्चों की जान,आरोप
बीआरडी अस्पताल के बर्खास्त डॉ. कफील ने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग भी उठाई
भोपाल,29 अक्टूबर.दो साल पूर्व उप्र के गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी होने से 70 बच्चों की मौत कोई हादसा नहीं, बल्कि वहां के मंत्रियों और जिम्मेदार की बदनीयतऔ र घूसखोरी का नतीजा था.ऑक्सीजन सप्लायर द्वारा लगातार चिठ्ठियां लिखने के बावजूद उसको आदेश जारी न करने के पीछे महज कहानी 10 फीसदी कमीशन के फेर में अटकी हुई थी. जिसके नतीजे में 70 मासूमों की मौत के रूप में यह हादसा सामने आया. सरकारी तंत्र और गंदी सियासत के चलते अस्पताल के बेकसूर डॉ. कफील खान को जिम्मेवार ठहरा दिया गया. यह आरोप डॉ.खान ने यूपी सरकार के जिम्मेवारों पर लगाए. उन्होंने इस पूरे मामले की फिर से सीबीआई से जांच कराने की मांग भी उठाई. बीआरडी हास्पीटल के बर्खास्त डॉ. कफील खान राजधानी भोपाल आए जहां उन्होंने कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के निवास पर पत्रकारों से चर्चा की. उनका कहना है कि हादसे की खबर पर वे स्वयं वहां पहुुंचे और मरीरों की मदद करने में कोई कसर नही छोड़ी इसके बावजूद उसे जिम्मेवार मानकर बरर्खास्त कर दिया गया. अपनी आपबीती सुनाते हुए डॉ. खान ने बताया कि जिस रात हादसा हुआ, उस समय उनकी सेवाकाल को महज एक साल ही गुजरा था, लेकिन उन्हें अस्पताल का सबसे बड़ा जिम्मेदार बनाकर पेश कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि हादसे के बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर जितनी मदद हो सकती थी की. अपने स्तर पर ऑक्सीजन के इंतजाम भी किए और सैकड़ों बच्चों की जान बचाने की मिसाल भी कायम की. लेकिन मामला जब तक मानवीयता तक देखा जा रहा था, तमाम मीडिया उन्हें मसीहा के रूप में निरुपित कर रहा था, लेकिन जैसे ही यह फिसलककर
सियासत की तरफ गया, बाद में उन्हें ही इस मामले का हत्यारा करार दे दिया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने दिया था गैर जिम्मेदाराना बयान
डॉ. कफील कहते हैं कि हादसे के बाद अस्पताल में जो हालात थे, वह बयां नहीं किए जा सकते. हर तरफ चीख-पुकार और हर तरफ से उठती आवाजें थीं, हमारे बच्चे की जान बचा लो..... 400 बीमार बच्चों की मौजूदगी में हुए इस हादसे के दौरान कोशिशों ने काफी जानें तो बचाईं, लेकिन करीब 70 बदनसीब माताओं से उनके बच्चे छिन गए. डॉ. कफील ने कहा कि इस दिल दहलाने वाले हादसे के बाद भी प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का यह बयान लोगों को और ज्यादा कचोट गया, जिसमें उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पाला झाड़कर यह कहा कि अगस्त माह में तो मौत होती ही हैं....!
देखता हूं तुझे कौन बचाता है....?
हादसे के बाद शुरू हुए गंदी सियासत ने मेरी और परिवार की जिंदगी को तबाह करके रख दिया. डॉ. कफील बताते हैं कि मामले की सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर धकेलते हुए उनके खिलाफ एफआईआर करवाई गई, जेल भेज दिया गया, 160 गंभीर अपराधियों के बीच उन्हें रहने पर मजबूर किया गया, जमानत के सारे रास्ते भी बंद कर दिए गए. इस सियासी बदले ने उनके 9 माह जेल में गुजार दिए. इधर बाहर उनके परिवार के लोगों को पुलिस परेशान करती रही. डॉ. कफील बताते हैं कि पुलिस वाले रात को घर में आकर बैठ जाते थे और सारी रात परिवार के लोगों को परेशान करते रहते थे. इस सबके होने से पहले प्रदेश के
मुखिया ने खुलेआम उन्हें चुनौती देने से भी गुरेज नहीं किया था कि तेरी जिंदगी अब बर्बाद होकर रहेगी, देखता हूं, तुझे कौन बचाने आता है!
जांच रिपोर्ट में क्लीनचिट
डॉ. कफील बताते हैं कि पूरे मामले की जांच करने वाले आईएएस अधिकारी हिमांशु कुमार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि डॉ. कफील इस मामले के दोषी नहीं हैं. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कफील के मौके पर न होने, उनके छुट्टी पर होने और उनके सेवाकाल के लिहाज से उनकी जिम्मेदारी को लेकर सारी बातें स्पष्ट की हैं. बावजूद इसके उन्हें दोषी माना जा रहा है और प्रताडि़त करने का कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा. यहां तक डॉ.कफील के भाई को ऐसे स्थान पर गोलियों से मार दिया गया, जहां महज 500 मीटर की दूरी पर मुख्यमंत्री खुद मौजूद थे. इसके बाद भी उनके जख्मी भाई को एम्बुलेंस में लेकर पुलिस घंटों सड़कों पर घूमती रही, ताकि वह जिंदा न बच सके.
अब सोशल मीडिया पर भी निगरानी
पुलिस, जेल, अदालत, प्रशासनिक पूछताछ और कार्यवाहियों से बाहर निकले डॉ. कफील के सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने को भी अपराध के रूप में देखा जा रहा है. उनके फेसबुक, ट्विीटर, व्हाट्सअप आदि की पोस्टों को आधार बनाकर भी उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए जा रहे हैं. डॉ. कफील अपने साथ हुए अन्याय और बच्चों की मौत के असली जिम्मेदारों को सजा दिलाने की मांग को लेकर देशभर में अपनी बात कह रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने राजधानी भोपाल में फिर दोहराया कि मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाना चाहिए.
मसूद बोले, मप्र आ जाएं, हम देंगे पनाह
डॉ. कफील की पत्रकारवार्ता के दौरान मौजूद मध्य विस क्षेत्र के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने ऐलान किया कि अगर उन्हें या उनके परिवार को उप्र में किसी तरह का खतरा है या उनके साथ दोयम दर्जे का व्यहवार किया जा रहा है, तो मप्र में उनका स्वागत है. मसूद ने कहा कि मप्र में डॉ. कफील को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. साथ ही उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी जाएगी.