यमघट योग में 16 श्राद्ध ·का समापन  

20 वर्ष बाद बना पंचग्रही सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध एवं शुक्र का महासंयोग 
पितृ मोक्ष अमावस्या का समापन 
भोपाल। भोपाल मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पं. रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि अश्विन मास ·ृष्ण पक्ष पितृ मोक्ष अमावस्या शनिवार परिधावी संवत्सर को राजा के दिन 28 सितम्बर शनिवार को पितृ विसर्जन सूर्योदय से सूर्यास्त तक होगा। इस बार सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर विशेष संयोग रहेंगे। इस वर्ष 20 साल बाद सर्व पितृमोक्ष अमावस्या शनिवार के दिन रहेगी। इस दिन को श्राद्ध कर्म करना अनंत फलदाय· माना गया है। खास बात यह है कि पितृ पक्ष में शनिवार के दिन अमावस्या का योग बहुत ही सौभाग्यशाली है। इसी के साथ 28 सितंबर को गोचर में पंचग्रही योग भी बन रहा है। इस दिन ·कन्या राशि में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र और सूर्य ग्रह भी उपस्थित रहेंगे, जो विशेष फलदायी होंगे। 
जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन कर के गई थी उसी तिथि को पितृ शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ ·भी-·भी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं, जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले गए थे। इसलिये अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिए एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया है। इसके लिये ·ृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या ·का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध ·किए जाने के कारण ही इस तिथि को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है। गुरूजी कहना है देव,ऋषि,पितृ,ऋण मुक्ति का दिन है, जिनके माता-पिता जीवित है उन्हें श्राद्ध में तीर्थ यात्रा कराना चाहिए एवं उन्हें चाय, नाश्ता, भोजन कराने के साथ वस्त्र, दक्षिणा देकर चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना चाहिए। श्राद्ध का श्रद्धा से गहरा संबंध हैं।  जिनके पूर्वज जीवित न रहे उन्हें श्रद्धा के साथ गया, इलाहाबाद, हरिद्वार, नर्मदा, क्षिप्रा या पवित्र नदियों के घाट पर श्राद्ध की पूजा-पाठ, पिंडदान, तर्पण आदि करना चाहिए। पितृदोष मुक्ति का निवारण सोलह श्राद्ध में होता है। 
पितरों से की जाएं प्रार्थना : जन्म आपने दिया, नामकरण, लालन-पालन, शिक्षा, सर्विस, व्यापार, भवन, शादी, संतान प्राप्ति, मान-सम्मान तथा लक्ष्मी आपसे मिली। रग-रग में बहता खून आपका ही है। शुभकर्म मेरे शरीर से हो, यही आशीर्वाद आपसे मिले। 
मां चामुण्डा दरबार भोपाल  मां नर्मदा में पिंडदान, तर्पण के साथ भंडारे का आयोजन 52वें वर्ष में सोलह श्राद्ध का समापन करेगा। 


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