साधना का पर्व शारदीय नवरात्रि 




महासंयोगों के साथ द्विपुष्कर, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि एवं हस्त नक्षत्र में शक्ति-साधना का पर्व नवरात्रि

सिद्धी मंत्रों से नहीं, मानव सेवा से मिलती है

भोपाल। भोपाल मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरू पंडित श्री रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य श्री विनोद रावत ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष एवम रविवार 29 सितम्बर से नवरात्रि का शुभारंभ होगा, जो सात अक्टूबर तक चलेगा। शुभारंभ परिधावी संवत्सर के मंत्री सूर्य रहेगे। नवरात्रि द्विपुष्कर, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि योग एवं हस्त नक्षत्र में आ रही है, जो शुभ संयोग है। श्री मातारानी की सवारी सिंह है। शास्त्रों में हाथी पर सवार होकर आगमन बताया है। विदाई अश्व पर सवार होकर रहेगी। अशांति, आतंकी हमला, प्राक·ृति· आपदा, राजनीति में उथल-पुथल रहेगा।
नवरात्रि में घटकलश, अखंड ज्योति हेतु सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
चौघडिय़ा अनुसार : सुबह 7.30 से 9.00 'चर', सुबह 9.00 से 10.30 'लाभ', 10.30 से 12.00 अमृत, दोपहर 1.30 से 3.00 तक· शुभ, शाम 6.00 से 7.30 शुभ, रात्रि 7.30 से 9.00 अमृत, रात्रि 9.00 से 10.30 बजे तक चर।
स्थिर लग्न : सुबह 9.39 से 11.56 वृश्चिक, दिन 03.48 से 05.21 शुभ, रात्रि 8.32 से 10.31 वृषभ। गोधूलि सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त। 
29 सितम्बर रविवार प्रथम मां शैलपुत्री पूजा- गाय के घी का  भोग-सर्वार्थसिद्धि-द्विपुष्कर-अमृतसिद्धि योग
30 सितम्बर सोमवार द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी पूजा-शक्कर का भोग -चन्द्रदर्शन 
01 अक्टूबर मंगलवार तृतीय मां चन्द्रघंटा पूजा -दूध या दूध से बनी मिठाई भोग- रवियोग 
02 अक्टूबर बुधवार चतुर्थ मां कुष्मांडा पूजा - मालपुए का भोग - सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि-रवियोग
03 अक्टूबर गुरूवार पंचम मां स्कंध माता पूजा- कले का भोग-रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग
04 अक्टूबर शुक्रवार षष्ठम मां ·कात्यानी पूजा - शहद का भोग- रवियोग 
05 अक्टूबर शनिवार सप्तमी मां कालरात्रि पूजा- गुड़ का भोग- सरस्वती आह्वान
06 अक्टूबर रविवार अष्ठमी मां महागौरी पूजा - नारियल का दान-सर्वार्थसिद्धि, रवियोग
      हवन, पूजन, कन्या भोज के साथ दुर्गाष्टमी का समापन होगा। 
07 अक्टूबर सोमवार नवमी मां सिद्धिदात्री पूजा - तिल का भोग-रवियोग, सर्वार्थसिद्धि योग
      हवन, पूजन, कन्या भोज के साथ भंडारा, दुर्गानवमी का समापन होगा। 
महिलाओं द्वारा प्रतिदिन मंदिरों में मां दुर्गा को जल चढ़ाया जाएगा। प्रतिवर्ष चार नवरात्रियां आती हैं। भक्तों के कष्ट निवारण की भावना के साथ मां चामुंडा दरबार प्रतिदिन रात्रि 10 बजे से 2 बजे तक सजेंगा। दरबार में नित्य फलहार की व्यवस्था रहती है। भक्तों द्वारा व्रत के समय दुर्गा सप्तसती का पाठ, स्त्रोत के साथ तेल एवं घी की अखण्ड ज्योति पूरे नवरात्रि में जलाई जाती है एवं भक्तों द्वारा ज्वारे बोए जाते हैं। गायत्री मंत्र का जाप एवं ऊं ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नम: बीज मंत्र का जाप उपासकों के द्वारा किया जाता है। घर-घर, दरबार एवं मंदिरों में भक्तिमय वातावरण प्रदेश एवं देश में रहेगा। दान पुण्य, शुभकर्म करने से सुख शांति की प्राप्ति होती है। ब्रह्मचारी व्रत नंगे पैर, निराहार, पेय पदार्थ, रात्रि जागरण विशेष फल देता है।




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