नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित मॉडल जन स्वास्थ्य को कमजोर करेगा

इंदौर, 11 जनवरी 2020 । जन स्वास्थ्य अभियान ने आज मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित पीपीपी मॉडल को ना अपनाने की मांग की है । जन स्वास्थ्य अभियान का मानना है की स्वास्थ्य राज्य का विषय है और एक जन कल्याणकारी राज्य होने के नाते राज्य की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देना राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है । नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित नया प्रयोग पीपीपी के नाम से करने जा रहा है जिसके अंतर्गत नए और मौजुदा मेडिकल कालेजों को कार्यात्मक जिला अस्पतालों से सम्बद्ध कर सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के रूप चलाये जाने का प्रवधान है, जिससे की जिला अस्पताल पर आश्रित करोड़ो गरीब व जरूरतमंद लोग नि:शुल्क ईलाज से वंचित हो जायेंगे । हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था में जिला अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की दृष्टि से जिले में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य एवं केन्द्रीय भूमिका में शीर्ष संस्थान है – ना कि मेडिकल कॉलेज का प्रतिनिधि । जिला अस्पताल पर सम्पूर्ण जिले की आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होती है, केवल अस्पताल में स्वास्थ्य देखभाल पाने वालों की नही । मौजुदा मॉडल में स्वास्थ्य सेवाओं को वर्गीकृत रूप में देने का प्रस्ताव है, यह वर्गीकरण नि:शुल्क मरीजो और बाकी अन्य सभी मरीजों के रूप में होगा, जो संविधान की मूल भावना के विपरीत जाकर भेदभाव को बढ़ायेगा । बाकी अन्य मरीजों को बाजार आधारित दरों पर पैसा देकर स्वस्थ्य सेवाएं लेना होगी ।


ज्ञात हो की पिछली सरकारों ने मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से लगातार विभिन्न नामों एवं योजनाओं के नाम पर निजी भागीदारी बढ़ाने की कोशिश की गयी है, परन्तु बावजूद इन सबके जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सूचकांकों में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है । जैसे कि वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश शासन ने प्रदेश के 27 जिला अस्पतालों को नीजी हाथों में सौंपने का, जिसके अंतर्गत अलीराजपुर जिला अस्पताल ओर जोबट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को गुजरात की कम्पनी दीपक ग्रुप और फर्टीर्लाइज़र के संस्थान दीपक फाउंडेशन के साथ एमओयु किया गया और नियमों की अनदेखी कर सरकारी पैसा दिया गया था जिसकी जाँच की मांग जन स्वास्थ्य अभियान ने की थी ।


जन स्वास्थ्य अभियान ने सरकार से मांग की है की पुरी तरह से जन स्वास्थ्य की अवधारणा एवं मध्य प्रदेश सरकार के प्रस्तावित स्वास्थ्य अधिकार कानून की सोच के खिलाफ नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित मॉडल को मध्य प्रदेश सरकार को पुरी तरह से नकारना चाहिए और प्रदेश में वर्तमान में किये जा रहे प्रयासों को और मजबूती से आगे बढ़ाये जाना चाहिए है ।


अमूल्य निधी   एस. आर. आजाद  राकेश चान्दौरे


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