विचारों और अनुभवों के प्रतिमान संस्कृति में विद्यमान रहते हैं : प्रो. अनिल कुमार

3 दिवसीय भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म शिविर का समापन समारोह
भारत की आध्यात्मि· शक्ति को पूरे विश्व ने स्वीकारा है. अब भारत में भी अध्यात्म की शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है क्योंकि शिक्षा वही महत्वपूर्ण है जो संस्कार व अध्यात्म से जोड़े. मुख्य अतिथि प्रो. आई.बी. चुगताई ने अपने मुख्य उद्बोधन में निष्काम कर्म के भाव को ही अध्यात्म·कहा. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. अनिल कुमार ने कहा कि संस्कृति एवं अध्यात्म गूढ़ विषय हैं यदि इन्हें छात्राएं आत्मसात कर ले तो जीवन सफल हो जाएगा. विचारों और अनुभवों के प्रतिमान संस्कृति में विद्यमान रहते हैं. यह अवसर था श्री सत्या साई महिला महाविद्यालय, भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म शिविर के समापन सत्र का. समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल के डीन ऑफ इंस्ट्रक्शन्स, प्रो. आईबी चुगताई, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे प्रो. अनिल कुमार, सदस्य, पश्चिमी क्षेत्रीय समिति, एनसीटीई।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सुधा पाठक ने अतिथियों का स्वागत किया तथा शिविर संयोजिका डॉ. अनीता अवस्थी ने तीन दिवसीय शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन किया शिविर सह संयोजिका डॉ. अनिता तिवारी ने. इस अवसर पर महाविद्यालय शासी परिषद के सचिव श्री विजय संपत, अकादमिक निदेशक डॉ. राधावल्लभ शर्मा, शिक्षाविद डॉ. ज्ञानवर्धन पाठक एवं सलाहकार ऑटोनोमस सेल डॉ. आभा बाजपेयी भी उपस्थित थीं. शिविर के तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में श्री हरिरंजन राव ने योग: कर्मसु कौशलम, श्री त्रिभुवन सचदेवा ने जर्नी विद साईं, श्री कृष्ण कुमार दुबे ने श्री राम चरित्र विषय पर व्याख्यान दिए. तत्पश्चात शिविरार्थियों ने शिविर संबंधी अपने अनुभव सुनाए तथा शिविर आधारित आध्यात्मि· प्रश्रमंच का आयोजन किया गया. समापन सत्र में विजयी छात्राओं को पुरस्कृत किया गया एवं शिविरार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए. इस अवसर पर महाविद्यालय के रिसर्च जर्नल हाइब्रो का विमोचन भी अतिथियों के द्वारा किया गया. 


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