सत्ता बदली पर सत्ता वाले तेवर नहीं बदले भाजपा के - यश भारतीय  

मप्र में जब आईएएस अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार हो सकता है ,तो छोटे दर्जे के कर्मचारियों के साथ कैसा व्यवहार करते होंगे भाजपा जनप्रतिनिधि - कार्यकर्ता ।


मप्र के आईएएस अधिकारी सभाजीत यादव जोकि अभी रीवा नगर निगम आयुक्त का दायित्व संभाल रहे हैं। उनकी क्या यह गलती है ? कि उन्होंने भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल के खिलाफ 'झूठे आश्वासन' पर थमाया 5 करोड़ रु. की वसूली का नोटिस जिसमे मप्र शासन को नुकसान हुआ है । आईएएस अधिकारी कि इस कार्यवाही से यदि भाजपा या पूर्व मंत्री जी को एतराज है तो उनको मुख्य सचिव , मुख्यमंत्री या न्यायपालिका की शरण में जाना चाहिए था लेकिन उन्होंने क्योकि सत्ता परिवर्तन हुआ है प्रदेश में तो इस पर राजनीती करना उचित समझते हुए भाजपा ने आईएएस अधिकारी सभाजीत यादव को शिकार बना दिया और दबाव में लेने का प्रयास किया है । राजेंद्र शुक्ल तो आरोप लगा ही रहे थे उनका साथ देने के लिए भाजपा नेता और बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा ने खुले मंच से धमकी देते हुए कहा कि मैं नगर निगम आयुक्त सभाजीत यादव को जिंदा दफना दूंगा। अगर मैं समय पर ना पहुंच सकूं तो ये काम आप सब करना, जनता को भड़काते हुए कहा था ।

अब भाजपा सांसद के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान जी आईएएस अधिकारी पर उलजुलूल आरोप लगाने भोपाल से रीवा तक पहुंच गए। जो शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री रहते हमेशा अपने राजनैतिक विरोधियों को बोलते रहे कि मेरे परिवार पर आरोप मत लगाया कीजिये आप मेरे विरोधी है मेरे परिवार को राजनीती में न लाए , आज उन्ही शिवराज जी ने आईएएस अधिकारी सभाजीत यादव के परिवार और उनकी धर्मपत्नी पर आरोप लगा दिया की उन्होंने चुनाव लड़ा था विदिशा की सिरोंज विधानसभा सीट से काँग्रेस के टिकट पर जो कि झुठ बोल रहे है शिवराज जी ।

इसके बाद शिवराज जी ने आईएएस अधिकारी सभाजीत यादव की भी राजनैतिक महत्वाकांक्षा जाग रही है इसलिए वह ऐसी कार्यवाही कर रहे है आरोप लगाया ।  भाजपा के बड़े नेताओ के साथ साथ ,भाजपा के कार्यकर्ता भी स्तरहीन राजनीती पर उतरते हुए रीवा नगर निगम आयुक्त कार्यालय पहुंच कर आईएएस अधिकारी सभाजीत यादव के केबिन में दाखिल होकर चूड़ियां पहना दी थी पिछले दिनों ,जो एक अपने आप एक अपराध कि श्रेणी में आता है किसी शासकीय अधिकरी के साथ दुर्व्यवहार और शासकीय कार्य मे बाधा पहुँचाना । इस पूरे प्रकरण को देखने के बाद एक बात समझ आती है कि भाजपा जब सत्ता में थी तो शासकीय कार्यों को किस तरह अधिकारी कर्मचारी पर दबाव बनाकर मन माफिक कार्य कराते रहे होंगे इस तरह दबाव में जो भी इनका विरोध करता होगा निश्चित ही दंडित होता होगा ये उसका एक प्रमाण मात्र है ।

मेरा मप्र सरकार से ये अनुरोध है कि अधिकारी -कर्मचारियों का मनोबल बना रहे है ,वह अपना कार्य बिना भय और पक्षपात के कर सके इसके लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करे । भाजपा के इन जनप्रतिनिधियों और भाजपा कार्यकर्ताओं पर कठोर से कठोर कार्यवाही हो ,जो आगे के लिए उदहारण बने ।

 

पूरा मामला जिसपर नोटिस भेजा गया था -

नोटिस के अनुसार 2013 के चुनाव के दौरान शुक्ला ने रानी तालाब व चूना भट्‌टा के विस्थापितों को एकीकृत आवास एवं गंदी बस्ती विकास कार्यक्रम (आईएचएसडीपी) योजना के तहत रतहरा व रतहरी में मुफ्त आवास देने का आश्वासन दिया था।

उन्होंने एक लिखित पेंफलेट भी बंटवाया था। इस आश्वासन पर विस्थापित परिवार बिना मार्जिन मनी जमा किए मकानों में रहने लगे। ये अब भी यहीं काबिज हैं। उनका कहना है कि उन्हें निशुल्क आवास देने का आश्वासन दिया गया था, यदि कोई राशि जमा कराई जाना है तो उनसे ली जाए, जिन्होंने आश्वासन दिया था। आईएचएसडीपी में हितग्राहियों को मकान आवंटन के पूर्व 15000 रुपए मार्जिन मनी देना था और शेष राशि बैंक से ऋण उपलब्ध करा कर जमा होना थी।

नोटिस में कहा गया है कि आपके पेंफलेट वितरण और चर्चा से प्रभावित होकर ये लोग मकानों पर काबिज हो गए। हितग्राहियों और आपके बीच अलिखित अनुबंध के कारण रीवा नगर निगम को 4.94 करोड़ रुपए की आर्थिक हानि हुई है। इसमें 1.53 करोड़ रुपए का ब्याज भी शामिल है।  इसके भुगतान के लिए उन्हें नोटिस जारी किया गया है। निगम आयुक्त यादव ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे को भी पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी।

 

 यश भारतीय 

निवर्तमान प्रदेश प्रवक्ता 

मप्र समाजवादी पार्टी 

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