*प्रदेश भर में निकलेंगे जत्थे, होंगी सभाएँ,  प्रदर्शन, मशाल जुलूस*

*भोपाल ने  प्रदेश स्तरीय संयुक्त श्रमिक सम्मेलन सम्पन्न*

*8 जनवरी के देशव्यापी आम हड़ताल सफल करने का आह्वान*

राजधानी भोपाल के गांधी भवन के मोहनिया हाल में सभी श्रमिक संगठनों का राज्य स्तरीय संयुक्त सम्मेलन  सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। प्रदेश भर से आए 250 से अधिक चुनिंदा प्रतिनिधियों ने प्रदेश के सभी उद्योगों, धंधों, संस्थानों में हड़ताल को सफल करने का संकल्प लिया। सम्मेलन में प्रस्तुत घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से पारित किया गया। सम्मेलन को इंटक के राज्य अध्यक्ष आर डी त्रिपाठी*,  सीटू के  राज्य महासचिव प्रमोद प्रधान ,एटक के रामहर्ष पटेल,  एआईयूटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव आर के शर्मा, सेवा की हेमलता, बैंक के वी के शर्मा, बीमा के मुकेश भदौरिया,  केंद्रीय कर्मचारी संगठन के यशवंत पुरोहित, बीएसएनएल के एच एस ठाकुर प्रमुख ने संबोधित किया।

सम्मेलन की अध्यक्षता रामराज तिवारी(इंटक), कृष्ण मोदी(एटक), विष्णु शर्मा(सीटू), जे सी बरई(एआईयूटीयूसी), नज़ीर कुरेशी(बैंक), पूषन भट्टाचार्य(बीमा), एस सी जैन(केन्द्रीय कर्मचारी) की अध्यक्षमण्डली ने किया। सम्मेलन ने सर्वसम्मति से मांग की कि सभी के लिए रु. 21000/ प्रतिमाह का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और रु. 10000/ प्रतिमाह न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही सभी ग्रामीण और शहरी परिवारों को कवर करने के लिए प्रभावी रोजगार गारंटी अधिनियम लागू हो। ग्रामीण संकट को कम करने के लिए सार्वजनिक निवेश में वृद्धि, स्वामीनाथन आयोग के अनुसार कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य, सरकारी खरीद सुविधाओं और किसानों के ऋण की माफी की मांग सम्मेलन द्वारा की गई। सम्मेलन ने सभी स्कीम वर्कर्स के लिए मजदूर का दर्जा देने की मांग की,  ठेका प्रथा को समाप्त करने और ठेका मजदूरों को नियमित करने, समान काम के लिए समान वेतन और लाभ और विकास लक्ष्यों को लगातार लागू करने की माँग की गई।

सम्मेलन ने सर्वसम्मति से 12 सूत्रीय मांग पत्र के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त संघर्षों को तेज करने और एकजुट कर लामबंद करते हुए 8 जनवरी 2020 के देशव्यापी आम हड़ताल की कार्रवाई का पुरजोर समर्थन किया। सम्मेलन ने हड़ताल की भारी सफलता के लिए मजदूरों को लामबन्द करने के लिए अन्य बातों के साथ निम्न कार्यक्रम को सर्वसम्मति पारित किया :

-आगामी एक माह के दौरान प्रदेशभर के जिला केन्द्रों व प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों पर श्रमिकों के संयुक्त सम्मेलन किए जाएंगे। 

-सभी शहरों, कस्बों और प्रमुख केन्द्रों पर हड़ताल का व्यापक प्रसार के लिए वाहन रैली, जत्थे, प्रदर्शन, आम सभा, गेट मीटिंग, पर्चा वितरण आदि के जरिये किये जाएंगे।

-17-22 दिसंबर 2019 के बीच प्रत्येक उद्योग/कार्यालय/जिला प्रशासन को हड़ताल का नोटिस दिया जाएगा। 

-7 जनवरी 2018 को प्रदेश भर में मशाल जुलूस निकाले जाएंगे। 

8 जनवरी, 2020 को देशव्यापी आम हड़ताल प्रदेश भर में होगी। 

इसके पूर्व सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार न केवल कामकाजी जनता की वास्तविक माँगों को समाधान करने में विफल रही है, बल्कि उसने तो अपने कॉरपोरेट आकाओं के हित में, मजदूरों के अधिकारों के खिलाफ अपनी आक्रामकता को जारी रखा है।

सरकार का मजदूर-विरोधी और तानाशाही चरित्र, ठेका श्रमिकों को समान काम के लिए समान वेतन और लाभों, न्यूनतम वेतन के निर्धारण तथा आंगनवाड़ी, मिड-डे-मील और आशा आदि योजनाकर्मियों को श्रमिक का दर्जा देने के संबंध में लगातार भारतीय श्रम सम्मेलनों में बनी सर्वसम्मति की सिफारिशों को लागू न करने से, और अधिक स्पष्ट हो जाता है।  

वक्ताओं ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि मोदी सरकार के श्रम मंत्री ने राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन के बारे में अपनी ही कमेटी की सिफारिशों  के भी विरुद्ध जाकर रु 4628 प्रतिमाह अर्थात रू 178 प्रतिदिन का अपमानजनक आंकड़ा घोषित किया।

सरकार ने ईपीएस 1995 के तहत वास्तविक वेतन और महंगाई भत्ते पर पेंशन के योगदान और गणना तथा  ''समान काम के लिए समान वेतन व लाभ'' के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों को लागू करने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर, सरकार मातृत्व लाभ अधिनियम और ईपीएफ अधिनियम जैसे कानूनों को लागू न करने वाले नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए करदाताओं के धन का दुरुपयोग कर रही है।

वक्ताओं ने प्रदेश के सभी मजदूरों, कर्मचारियों, चाहे उनकी संबद्धता कोई भी हो, से अपील की कि वे एक साथ हाथ मिलाकर और अपने क्षेत्रीय संघर्षों को एक शक्तिशाली देशव्यापी आंदोलन का स्वरूप देकर, सरकार को उसकी राष्ट्र-विरोधी नीतियों को पलटने के लिए मजबूर करने को आगे आए।  उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा बनाई गई धन-सम्पत्ति को सरकार के साथ मिलकर कॉरपोरेट्स द्वारा लूटा जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप हमें आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है। हम अपने द्वारा बनाए गए धन का न्यायसंगत पुनर्वितरण करने की माँग करते हैं। 

*पूषन भट्टाचार्य         वी के शर्मा*

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