जेनयू में पत्रकारों के साथ हुए बर्ताव का विरोध


जेनयू में पत्रकारों के साथ हुए बर्ताव का भोपाल के मीडिया संस्थान के छात्रों ने विरोध किया। विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि जेएनयू के छात्र अपनी मांग एवं प्रदर्शन के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मीडिया को भी अपना कार्य करने दिया जाना चाहिए। यदि छात्रों को अभिव्यक्ति की आजादी है तो मीडिया को क्यों नहीं, आखिर वह अपने पेशे के लिए कार्य कर करते हैं और इसी के लिए वेतन भी पाते हैं, प्रदर्शन की आड़ में मीडिया से बदसलूकी करना कदाचित ठीक नहीं है। इसे लेकर विभिन्न काॅलेजों के विद्यार्थियों ने "WE STAND WITH MEDIA" #JNU का कैंपन चलाया। छात्रों ने सोशल मीडिया एवं सार्वजनिक स्थानों पर मीडियाकर्मियों के प्रति कैंपन चलाकर विरोध जताया। कैंपेन में माखनलाल चतुर्वेदी, जेएलयू एवं टैगोर विश्वविद्यालय के छात्रों ने मीडिया के समर्थन में आवाज उठाई। 


जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी एवं ड्रेस कोड को लेकर लगातार प्रदर्शन जारी है। सोमवार को विद्यार्थियों ने जेनयू कैंपस से लेकर सफदरजंग मकबरे तक पैदल मार्च एवं प्रदर्शन किया। जिसके बाद पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन के चलते लाठी चार्ज किया जिसमें कुछ छात्र घायल हो गए हैं। बीते दिनों जेनयू में प्रदर्शनकारियों द्वारा मीडियाकर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार एवं आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण मामला और अधिक गरमा गया है। सोमवार को एक न्यूज के द्वारा दिखाए गए वीडियो में मीडियाकर्मियों के साथ की गई अभद्रता साफ नजर आ रही है। वही एक अन्य वीडियो में एक महिला रिपोर्टर के साथ भी बदसलूकी नजर आ रही है जिसमें रिपोर्टर के तेवर भी चड़े हुए हैं। 

                 ज्ञात हो कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रावास को 10 रूपये से बढ़ाकर 300 रूपये कर दिया गया है, जिसके विरोध में जेएनयू के छात्रों ने मोर्चा खोला हुआ है। छात्र बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विरोध कर रहे छात्रों ने कैंपस में लगी विवेकानंद की मूर्ति को खंडित कर अपशब्द भी लिखे। जब इस प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने के लिए कुछ मीडियाकर्मी जेएनयू पहुंचे तो छात्रों ने महिला रिपोर्टर्स के साथ बदसलूकी की एवं उनके माइक एवं कैमरे छीनने का प्रयास किया। छात्रों ने एक महिला प्राध्यापक को भी लगातार 28 घंटे बंधक बनाकर रखा। विरोध कर रहे छात्र मंगलवार को सड़क पर उतर आए जिसके कारण आठ घंटों तक दिल्ली की सड़कों पर जाम लगा रहा। पुलिस ने संसद की तरफ बढ़ रहे छात्रों को सफदरजंग अस्पताल के पास रोक दिया। इस दौरान पुलिस द्वारा लाठीचार्ज में कुछ छात्र घायल हो गए हैं।

अभिलाष ठाकुर, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल,

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। क्योंकि वह समाज या व्यवस्थाओं में गड़बड़ियों को उजागर करती है। सामान्य लोगों की आवाज को शासन एवं प्रशासन तक पहुंचाने का काम मीडिया ही करती हैं। जेएनयू के छात्रों द्वारा मीडिया के साथ बदसलूकी करना सर्वथा अनुचित है। वह विरोध जताकर अपना काम कर रहे हैं तो मीडिया को रिपोर्टिंग कर अपना काम करने देना चाहिए। मीडिया अपना कार्य करने के लिए स्वतंत्र है। हम मीडिया के छात्र इसकी कड़ी निंदा करते हैं। कल हम भी उसी क्षेत्र में पहुंचेंगे तब हमारी भी वही जिम्मेदारी होगी जो जेएनयू में रिपोर्टिंग कर रहे मीडियाकर्मियों की थी।

 सौरभ कुमार, माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय

जे. एन. यू. के स्टूडेंट्स अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि उनको अभद्रता करने की आजादी है। मीडिया को इस तरह से कवरेज से रोका जाना सीधा-सीधा अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता का हनन है।

विधि सिंह, एमसीयू, भोपाल

देश के उच्च संस्थानों में गिना जाता है मीडिया के साथ ऐंसा रवैया जेएनयू जैसे संस्थान में उचित नहीं है। यह बर्ताव अत्यन्त निंदनीय है। ऐंसी घटनाओं से इन मुद्दों पर कवरेज कर रहे रिपोर्टर हतोत्साहित होगें और वह खुलकर रिपोर्टिंग नहीं कर पाएंगे।

अंकित तिवारी JLU

JNU जैसे शिक्षा के मंदिर में महिला पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार कौनसी मानसिकता दर्शाता है? यदि पत्रकारों को उनका काम नहीं करने दिया जाएगा तो वह अपना दायित्व कैंसे निभाएंगे। पत्रकारिता में निष्पक्षता तभी आएगी जब पत्रकार खुलकर कवरेज कर पाएंगे। 

प्रांजल तिवारी, छात्र रविन्द्रनाथ टैगोर विवि

मीडिया के साथ यदि रोक टोक होने लगी तो आने वाले समय में हम पत्रकारों का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। इन कृत्यों से अन्य आंदोलनकारी छात्रों को मीडिया का विरोध करने के लिए बल मिलेंगा। ऐंसी स्थिति में किसी भी मुद्दे पर हम भला रिपोर्टिंग कैंसे कर पाएंगे??

अंकित शर्मा, एमसीयू, भोपाल

पत्रकार हमेशा ही समाज का आईना बन कर काम करते हैं, ऐसे में अपने आप को पड़ा लिखा कहने वाले इन छात्रों द्वारा उसी आईने को तोड़ने का काम किया जा रहा है। हमेशा लोकतंत्र की दुहाई देने वाले छात्र, विरोध के नाम पर लोकतंत्र के ही चौथे स्तंभ की आवाज दबाने का प्रयास कर रहे हैं रहे हैं, पत्रकारों के साथ की गई अभद्रता पूर्णतः अनुचित है।

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