अलविदा जब्बार भाई

भोपाल को शर्मिदा करते भोपाल निवासी ??

2-3 दिसम्बर की रात विश्व की सबसे बड़ी उद्योगिक त्रासदी भोपाल में हुई, हजारों लोग मारे गए ,कई सालों तक के लिए पीढ़ी प्रभवित हो गई ।उन पीड़ितों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे अब्दुल जब्बार साहब ।

उनकी और उनके साथियों की मेहनत का परिणाम था कि प्रदेश ही नही शायद भारत के अत्याधुनिक अस्पतालों में से एक - भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) भोपाल वासियों को मिला 650 करोड़ कि लागत और 500 करोड़ रिजर्व फण्ड के साथ जो अब 800 करोड़ के लगभग हो चुके होंगे । आधुनिक व्यवस्था के साथ चालू हुआ । आज भी भोपाल कि सबसे उच्च श्रेणी की एम्बुलेंस bmhrc के ही पास है ।

इतना आधुनिक अस्पताल होने के बाद भी जब्बार साहब हमारे बीच नही है कारण अस्पताल की अनदेखी सरकारों द्वारा । न अच्छे डॉक्टर बचे है जितने अच्छे डॉक्टर थे वो सब पैसे कमाने के कारण निजी अस्पतालों की गोद मे बैठ गए है और पैसा कमा रहे है जान बचाने के बदले ।

आज न अच्छे डॉक्टर है न दवाईयां जहाँ राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब भी आए थे राष्ट्रपति रहते ।

मुआवज़े के नाम पर हजारों रुपये गैस पीड़ितों को मिल चुके हैं ,उसके पीछे भी अब्दुल जब्बार साहब का ही संघर्ष रहा है ।

भोपाल के लगभग 5 लाख गैस पीड़ितों के लिए संघर्ष और उनके लिए लड़ने वाले व्यक्ति के जनाजे में उतने लोग नही थे जिसके वो हकदार है ।

आज उनके कार्यालय पर श्रधांजलि सभा रखी गई थी जिसमे बमुश्किल 500 लोग शामिल हुए, भोपाल के प्रथम नागरिक (महापौर) गायब थे ,भोपाल की सांसद गायब थी भाजपा से जुड़ा जनप्रतिनिधि ,पदाधिकारी सब गायब थे ।

ये बताता है कि हमारी सोच कहां जा रही है हम स्वार्थी इतने हो चुके है कि जिसने शहर को इतना कुछ दिया हम उसके अंतिम समय मे भी उसके साथ नही खड़े हो सकते । उसके ऊपर जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों के ये उदासीनता भरा कृत्य निश्चित ही भोपाल को शर्मिंदा करता है ।

शर्मिदा भरा अलविदा जब्बार भाई 🙏🙏

 

यश भारतीय 

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