आज का बाल साहित्य लेखन चुनौतीपूर्ण- महेश सक्सेना



'बाल साहित्य रचना पाठ एवं विमर्श' सम्पन्न


भोपाल। 15 सितंबर 2019 को श्री विभगूँज वेलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित मासिक पत्रिका 'साहित्य समीर दस्तक' एवं 'वनमाली सृजन पीठ', भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में 'बाल साहित्य रचना पाठ  एवं विमर्श' कार्यक्रम आर्य समाज भवन में सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा साहित्य एवं कला फेस्टिवल 'विश्व रंग' की श्रृंखला के तहत किया गया।


समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती उषा जायसवाल ने की तो मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ साहित्यकार युगेश शर्मा एवं सारस्वत अतिथि 'बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र' के निदेशक महेश सक्सेना उपस्थित थे। अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया। साथ ही कीर्ति श्रीवास्तव द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।


सारस्वत अतिथि महेश सक्सेना ने बाल साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि-आज का बाल साहित्य चुनोतिपूर्ण हो गया है। आज का बच्चा जिज्ञासु है। कहानियों में ग्रामीण अंचल की आवश्यकता है।


मुख्य अतिथि युगेश शर्मा ने कहा कि- बाल साहित्य लिखना किसी परीक्षा से कम नहीं है। बच्चों के मनोविज्ञान को समझना जरूरी।


वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं वरिष्ठ साहित्यकार उषा जायसवाल ने कहा कि-बाल साहित्य पढ़वाने के लिए बाल साहित्य उम्र वर्ग के अनुसार लिखा जाय। हिंदी दिवस पर बाल साहित्य पर चर्चा होनी ही चाहिए और आज का विमर्श और रचना पाठ सार्थक हुआ।


'साहित्य समीर दस्तक' की सम्पादक श्रीमती कीर्ति श्रीवास्तव ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि-'साहित्य के नये आयाम रचने के लिए 'विश्व रंग' जैसे आयोजन होते रहने चाहिए। आज के कार्यक्रम का हमारा मुख्य उद्देश्य बाल साहित्य से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना है। आज आपको बाल साहित्य के विभिन्न रंग देखने को मिलेंगे।'


इस अवसर पर बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं में रचना पाठ किया गया। डॉ. मधुबाला श्रीवास्तव ने बाल कहानी 'सपनों की उड़ान' एवं 'सोने के आंसू', श्री अनिल अग्रवाल ने बच्चों को संकल्प शक्ति के महत्व को सिखलाती बाल कहानी 'संकल्प से सिद्धी', वहीं श्री अरविन्द शर्मा ने शिक्षा के महत्व को बताती लघु नाटिका 'शिक्षा का कर्ज चुकाएं', सुश्री नम्रता सरन सोना ने बरसात, बंदर की बारात आदि बाल कविता एवं श्रीमती नीति श्रीवास्तव ने विलुप्त होती पत्र विधा पर बच्चों के लिए पत्र वाचन किया।


इस अवसर पर शहर के साहित्यकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. अर्चना निगम ने किया एवं आभार प्रदर्शन श्रीमती शालिनी खरे ने किया।


कीर्ति श्रीवास्तव


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